Step into the colorful world of childhood with these delightful Hindi poems. Filled with laughter, imagination, and tiny adventures, each poem invites young readers to explore, play, and learn. From giggles and games to gentle life lessons, this collection celebrates the joy and wonder of being a child. Delightful Children’s Poetry Collection.
Fun and Educational Hindi Poems for Kids
बचपन—हँसी, खेल, कल्पना और जिज्ञासा का सबसे प्यारा समय है। नन्हें-नन्हें मन के विचार, उनकी मासूमियत और दुनिया को देखने का अनोखा नजरिया इन कविताओं में समाया है। यह कविताएँ बच्चों को हँसने, मज़े करने और सीखने का मज़ेदार अवसर देती हैं। हर कविता एक छोटी सी कहानी, एक छोटी सी खोज और जीवन की प्यारी-सी सीख लेकर आती है। यह संग्रह बच्चों की रंग-बिरंगी दुनिया की खुशबू, उनकी उत्सुकता और मासूम मुस्कान के साथ उनके हर दिन को थोड़ा और रोचक बनाने का निमंत्रण है। पढ़ते समय हँसो, सोचो, कल्पना करो और इस नन्हीं दुनिया की यात्रा का आनंद लो।
बच्चों के लिए मज़ेदार कविताओं का संग्रह
खिल-खिल हँसते
कितनी प्यारी हँसी तुम्हारे,
ओंठों पर आई मुन्नी।
तीन साल है उमर तुम्हारी,
हँसना कैसे सीख लिया।
खिल-खिल हँसकर सारी दुनिया,
का मन कैसे जीत लिया।
ऐसा लगता है तुमने तो,
लोरी-सी गाई मुन्नी।
गिरकर उठना, उठकर गिरना,
झरना स्वर-सी किलकारी।
जितनी भी खुशियाँ हैं जग में,
किलकारी सब पर भारी।
जिसने भी हँसते देखा है,
सबको ही भाई मुन्नी।
नन्हें मुन्ना-मुन्नी जग में,
जहाँ-जहाँ भी हँसते हैं।
वहाँ गमों के काले बादल,
नहीं ज़रा भी टिकते हैं।
लू के गरम थपेड़ों में भी,
लगती ठंडाई मुन्नी।
नाम बताओ
जिसे बचाने मुहीम चली है,
सिर पर चढ़ा जुनून,
नाम बताओ इसका क्या है?
मिस्टर अफलातून।
ठोस द्रव्य या भाप रूप में,
रहता है यह भैया।
लहरों के सँग नदी ताल में,
करता ता -ता- थैया।
इसके सेवन से तन-मन को,
मिलता बड़ा सुकून।
शातिर लोग इसे तो अच्छों,
अच्छों को पिलवाते।
साइंस इसको हर दिन अपने,
घोड़ों को दिखलाते ।
इसके बिना कहाँ उबरे है,
मोती-मानुस-चून।
जिसके बिना बढे न आगे,
जीवन की यह गाड़ी।
सूखे, ताल, तलैया सागर,
नदिया पेड़ पहाड़ी।
इसके बिना कठिन है भारी,
महिने मई और जूना
मोबाइल से पानी
मोबाइल का बटन दबा तो,
लगा बरसने पानी।
धरती पर आकर पानी ने,
मस्ती की मनमानी।
चाल बढ़ी जब मोबाइल पर,
लगा झराझर झरने।
नदी ताल पोखर झरने सब,
लगे लबालब भरने।
और तेज फिर और तेज से,
चाल बढ़ाई जैसे।
आसमान से लगे बरसने,
जैसे तड़-तड़ पैसे।
किंतु अचानक मोबाइल का,
बटन हाथ से छूटा।
झर-झर-झर झरते पानी का,
तुरत-फुरत क्रम टूटा।
नदी ताल पोखर झरनों से,
जल फिर वापस आया।
दौड़ लगाकर ऊपर भागा,
बादल बीच समाया।
बड़े गजब के मोबाइल हैं,
कैसे अजब तमाशे।
जब चाहे पानी बरसा दें,
जब चाहे रुकवा दें।
इतनी ढेर किताबें
किसको अपने ज़ख्म दिखाऊँ,
किसको अपनी व्यथा सुनाऊँ।
इतनी ढेर किताबें लेकर,
अब मैं शाला कैसे जाऊँ।
बीस किताबें ठूंस-ट्रॅस कर,
मैंने बस्ते में भर दीं है।
बाजू वाली बनी जेब में,
पेन, पेंसिलें भी धर दी है।
किंतु कापियाँ सारी बाकी,
उनको मैं अब कहाँ समाऊँ।
आज धरम काँटे पर जाकर,
मैंने बस्ते को तुलवाया।
वजन बीस का निकला मेरा,
बस्ता बाईस किलो का पाया।
चींटी होकर हाय किस तरह,
मैं हाथी का बोझ उठाऊँ।
गधों और बच्चों में अब तो,
बड़ा कठिन है अंतर करना।
जैसे गधे लदा करते हैं,
हम बच्चों को पड़ता लदना ।
कंधे, पीठ हुए चोटिल हैं,
अगर कहें तो अभी दिखाऊँ।
इतना कठिन पाठ्यक्रम जबरन,
हम बच्चों पर क्यों थोपा है।
नन्हें से छोटे गमले में,
बरगद का तरुवर रोपा है।
अपन दर्द बताना है अब,
किसकी दर पर बोलो, आऊँ?
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
बचपन की हँसी, खेल और सपनों की दुनिया को इन कविताओं में बसाया गया है। उम्मीद है कि यह संग्रह नन्हें पाठकों के चेहरे पर मुस्कान लाए, उनके मन में नई कल्पनाएँ जगाए और सीखने की चाह बढ़ाए। हर कविता एक छोटी खुशियाँ, एक मीठा अनुभव और जीवन की प्यारी सीख लेकर आती है।
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