गोलू मेरा दोस्त : गोविन्द शर्मा का नया बालकथा संग्रह | पुस्तक समीक्षा

Dr. Mulla Adam Ali
0

वरिष्ठ एवं सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार श्री गोविन्द शर्मा जी का बालकथा संग्रह की कहानियाँ दादा–पोते के मधुर रिश्तों, बालमन की जिज्ञासाओं, संवेदनशीलता और जीवन-मूल्यों की अनमोल झलक प्रस्तुत करती हैं। गोलू और दादा जी का संवाद हर पाठक को अपने बचपन और परिवार की आत्मीयता की याद दिलाता है।

Golu Mera Dost : Children's Stories

बालकथा संग्रह गोलू मेरा दोस्त की समीक्षा

 गोविन्द शर्मा जी का नया बालकथा संग्रह : गोलू मेरा दोस्त

अपनी बात

एक छोटे बच्चे से पूछा गया-तुम्हारे घर में कौन-कौन रहते हैं? बच्चे ने कहा- मेरे मम्मी-पापा।

क्या तुम्हारे घर में तुम्हारा कोई दोस्त है?

हां, है। मेरे दादा और मेरी दादी।

दादा-दादी तो बहुत बड़े होते हैं। तुम बहुत छोटे हो। वे तुम्हारे दोस्त कैसे हुए?

वे बड़ों के लिए बड़े होंगे, मेरे तो दोस्त हैं। क्योंकि खुद दादा मुझे दोस्त कहते हैं। जैसे-गोलू मेरा दोस्त।

जी हां, इस बाल कथा संग्रह में गोलू और उसके दोस्त दादा की कहानियां है।

अब गोलू हमेशा छोटा ही नहीं रहता। बड़ा होता है उसमें भावनाएं जन्म लेती है। बाहर बरसात हो रही है। गोलू स्वयं चारों तरफ से सुरक्षित है। पर मारे चिंता के उसे नींद नहीं आ रही है। उसे चिंता है गली में रहने वाली कुत्तिया की। उसकी घूरी में पानी घुस गया तो उसके बच्चे डूब जाएंगे। उसे नींद तभी आई जब उसके कहने पर उसके पापा ने कुत्तिया और उसके बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया।

इस तरह गोलू बड़ा होता रहा, खेल पढ़ाई जारी रहती है। दोस्तों में घुलमिला रहता है। पर वहां भी समस्या आती रहती है। पर 'दोस्त' की सहायता से कोई नुकसान नहीं होता है। कहावतों के अर्थ-अनर्थ करता है। सड़क के स्वास्थ्य की चिंता करता है। पर भूलता नहीं कि उसके दादा कहते हैं गोलू मेरा दोस्त।

गोलू की कहानी आप तक पहुंचाने का मेरा उद्देश्य यही है कि आप भी गोलू की तरह दोस्त बन जाएं। सबके दोस्त बन जाएं और कोई समस्या आए तो कहीं और न जाकर अपने दोस्तों से ही हल करवा लीजिए। इतना ही नहीं आप भी अपने दोस्तों की समस्याओं को हल करने में सहायता करिए।

पढ़िये और इन कहानियों के मजे लीजिए।

धन्यवाद दें पंचशील प्रकाशन, जयपुर को, इन्हें आप तक सुंदर रूप में पहुंचने के लिए। मैं तो धन्यवाद दे ही रहा हूं।

- गोविंद शर्मा
94144-82280

मीठी- सी फुहारें.......

हिंदी बालकथा संग्रह गोलू मेरा दोस्त

मोबाइल क्रांति के वर्तमान दौर में एक ओर जहां रिश्तों में रस सूख रहा है वहीं परिवारी लोगों में संवाद और सौहार्द की निरंतर कमी देखी जा रही है। शुष्कतायुक्त परिवेश को सिंचित और आह्लादित करने के लिए वरिष्ठ बाल कहानीकार गोविन्द शर्मा "गोलू मेरा दोस्त" कहानी संग्रह लेकर आए हैं। कहानी संग्रह में नौ कहानियां संकलित हैं। सभी का केन्द्र बिन्दु गोलू है, जिसका वास्तविक नाम अभिनव है। उसके परम हितैषी मित्र के रूप में दादा जी भी समानांतर चले हैं। गोलू की उलझनों को समझना और समझाना आसान काम नहीं है। वह कुशाग्र बुद्धि बालक है। कच्चे खरबूजों को पकाने के लिए पक्के खरबूजे उनके पास रखता है तो मौसेरे भाइयों को चोर बता देता है। अपनी बात पर अडिग भी रहता है। गोविन्द जी ने कामचोरी से काम की चोरी करने की अद्भुत कल्पना की है, जिसे वे ही कर सकते हैं। छह दशकों से बाल साहित्य की सेवा में अनवरत अपना योगदान दे रहे - गोविन्द शर्मा जी का यह चौवनवां बाल कहानी संग्रह है। जिसका हिन्दी बाल साहित्य जगत में स्वागत होना चाहिए। इस संग्रह की प्रत्येक कहानी बालमन को रोमांचित करने वाली है। इनमें प्रकृति का सुखद सानिध्य, चटपटे मुहावरें और मूल्यों की सुगंध महसूस की जा सकती है। सबसे ऊपर दादा-पोते के बीच मधुर सम्बन्धों का सेतु तैयार करने के लिए लेखक को बधाई और साधुवाद जरूर दिया जाना चाहिए। मुझे अपनी कविता "गूगल बाबा” इन कहानियों में चरितार्थ होती दिखाई देती है-

गूगल बाबा के चक्कर में, भूले अपने बाबा। ज्ञानी, ध्यानी, उत्तर दानी, काम करे कुछ ज्यादा। दोस्त सरीखे देखें मैंने, यहां गोलू के बाबा। डांट-डपट से दूर सदा, भांपें खूब इरादा ॥।

- नरेन्द्र सिंह 'नीहार'
शिक्षाविद एवं साहित्यकार
नई दिल्ली - 110080

गोलू मेरा दोस्त

गोलू मेरा दोस्त हिंदी बालकथा संग्रह

अनुक्रम

मीठी- सी फुहारें.......

अपनी बात

  1. गोलू मेरा दोस्त
  2. गोलू मेरा नाम
  3. मटका महाराज
  4. गोलू और गिफ्ट
  5. गोलू की नींद
  6. कह-कहावत और गोलू-1
  7. कह-कहावत और गोलू -2
  8. गोलू मस्त मोलू
  9. गोलू की सड़क सेवा

पुस्तक : गोलू मेरा दोस्त
लेखक : गोविंद शर्मा
मूल्य : 150 रुपए
प्रकाशक : पंचशील प्रकाशन, जयपुर

ये भी पढ़ें; नीदरलैंड की चर्चित कहानियाँ: लोकजीवन के भारतीय रंगों से सजी कथाएँ

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top