स्वच्छता का महत्व: शहद-मक्खी और हलवाई की रोचक कहानी

Dr. Mulla Adam Ali
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This story teaches an important lesson about cleanliness and responsibility. Through the clever actions of the honeybees, we learn how carelessness with food can affect everyone’s health. Written in an engaging way, this story encourages children to stay clean, be aware, and make choices that benefit both themselves and others.

A Moral Story on Cleanliness

नैतिक बाल कहानी शहद-मक्खी ने की भलाई

स्वच्छता जीवन के हर क्षेत्र में आवश्यक है, परंतु कई बार लोग इसकी अहमियत को समझ नहीं पाते। यह शिक्षाप्रद कहानी शहद-मक्खियों और एक हलवाई के माध्यम से हमें बताती है कि थोड़ी सी लापरवाही कैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है और समझदारी भरे निर्णय किस तरह सभी के लिए लाभकारी साबित होते हैं। सरल शब्दों में लिखी यह कहानी बच्चों को स्वच्छता, जिम्मेदारी और सामूहिक भलाई की सीख देती है।

बच्चों के लिए नैतिक शिक्षाप्रद कहानी

शहद-मक्खी ने की भलाई

नीम का एक ऊँचा पेड़ था। उस पेड़ की एक डाल पर बहुत बड़ा शहद का छत्ता था। शहद के लिए मक्खियाँ खेतों में, बगीचों में और घरों में लगे फूलों के पौधों के पास जातीं और फूलों से रस चूसकर शहद बनाती थीं। पास के एक चौक में हलवाई की दुकान थी। वह दुकान चौक वाले हलवाई के नाम से जानी जाती थी। उस दुकान पर खूब मिठाइयाँ बिकती थीं। लेकिन लोगों को शिकायत रहती थी कि हलवाई अपनी कुछ मिठाइयों को बिना ढके खुले में रखता है। इससे उस पर धूल तो गिरती ही हैं, मक्खियाँ भी बैठती हैं। लोगों ने इन मिठाइयों को ढकने या शीशे के बने शोकेस में रखने के लिए हलवाई से बार-बार कहा; पर वह हलवाई नहीं माना। उसका कहना था कि खुले में रखी मिठाई पर सबकी नजर जाती है और इस तरह उसकी बिक्री ज्यादा होती है।

एक दिन एक शहद-मक्खी की निगाह उस मिठाई पर पड़ गई। वह मिठाई पर बैठकर उसका रस चूसने लगी। उसके लिए यह नया स्वाद था। वह रस लेकर अपने छत्ते पर पहुँची। जब उसने दो-चार बार ऐसा किया तो शहद के छत्ते की रानी मक्खी ने उसे टोका, "आजकल तू यह नए स्वाद का रस किस फूल से लेकर आती है?"

शहद की मक्खी झूठ नहीं बोलती थी। वह बोली, "यह किसी खेत या बगीचे के फूल का रस नहीं है। यह तो चौक वाले हलवाई की एक मिठाई का रस है। मैं अब फूलों पर नहीं मँडराती हूँ। मैं तो सीधे हलवाई की दुकान पर चली जाती हूँ। वहाँ मुझे एकदम मीठा और चिकना रस तैयार मिल जाता है।"

रानी मक्खी बोली, "यह कैसे हो सकता है? आजकल तो सब अपनी मिठाइयाँ ढक कर रखते हैं। जिस तरह हम अपने शहद को चारों तरफ से ढक कर रखते हैं, वैसे ही मनुष्य आजकल अपने खाने-पीने का सामान ढक कर रखने लगा है। फिर, शुद्ध शहद तो तभी बनता है जब उसमें कुदरती फूलों का रस हो।"

"रानीमक्खी, मुझसे यह गलती तो हो गई। अब मैं कभी भी हलवाई की मिठाई का रस लेकर नहीं आऊँगी", वह मक्खी बोली।

"नहीं, इसमें तुम्हारी गलती तो छोटी है, बड़ी गलती उस हलवाई की है। यदि खाने-पीने की चीजें खुली होंगी, तो उन पर मक्खियाँ बैठेंगी। शहद-मक्खी के अलावा उन पर गंदगी पर बैठने वाली मक्खियाँ भी बैठेंगी। उससे आदमियों में रोग फैल सकता है।

कल हम सब चौकवाले हलवाई की दुकान पर चलेंगे और अपनी मिठाई ढक कर रखने के लिए उसे मजबूर कर देंगे।"

योजना के अनुसार सब शहद मक्खियाँ एक साथ उड़कर हलवाई की दुकान पर गई। सभी उसकी खुली पड़ी मिठाइयों पर बैठ गईं। उन्हें उड़ाने के लिए वह कभी धुआँ करने लगा, तो कभी पंखा तेज चलाने लगा। इसके कारण मिठाई खरीदनेवाले भी कम आए और हलवाई भी ग्राहकों पर पूरा ध्यान नहीं दे पाया। शहद की मक्खियों ने दूसरे दिन फिर यही काम किया। उसके बाद दो दिन तक मक्खियाँ हलवाई की दुकान पर नहीं गईं। तीसरे दिन जब शहद-मक्खियाँ हलवाई की दुकान पर जाने की सोच रही थी, तो एक घरेलू काली मक्खी वहाँ आई और बोली, "जानती हो कल क्या हुआ? चौकवाले हलवाई ने अपनी दुकान में शीशे का एक बहुत बड़ा शो-केस लगवाया है; अब सब मिठाइयाँ उसके भीतर रखता है। मेरे साथ की सब मक्खियाँ परेशान हैं, वे गंदे नाले के किनारे बैठी रहती हैं।"

यह सुनकर रानीमक्खी खुश हो गई और बोली, "चलो, अच्छा हुआ। हमने अपने साथ-साथ मनुष्यों का भी भला कर दिया है।"

- गोविंद शर्मा

स्वच्छता जीवन के हर क्षेत्र में आवश्यक है, परंतु कई बार लोग इसकी अहमियत को समझ नहीं पाते। यह शिक्षाप्रद कहानी शहद-मक्खियों और एक हलवाई के माध्यम से हमें बताती है कि थोड़ी सी लापरवाही कैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है और समझदारी भरे निर्णय किस तरह सभी के लिए लाभकारी साबित होते हैं। सरल शब्दों में लिखी यह कहानी बच्चों को स्वच्छता, जिम्मेदारी और सामूहिक भलाई की सीख देती है।

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