Ritu Verma is a rising Hindi poet known for her simple and expressive style. Her poems reflect deep emotions and social realities. Ritu Verma Biography in Hindi, Lekhika Ka Parichay, Hindi Poet..
Ritu Verma : Emerging Hindi Poet
सरल और सशक्त लेखनी की कवयित्री
रितु वर्मा
नाम: रितु वर्मा
पिता का नाम: उमेश वर्मा
माता का नाम: सुनयना वर्मा
शिक्षा: एम.ए. (हिंदी)., बीएड.,
पता: सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल
मेल : Vritu2563@gmail.com
प्रकाशन : शीर्ष पत्र-पत्रिकाओं और साहित्यिक ब्लॉगों पर रचनाएं प्रकाशित जैसे इंदौर समाचार, नव उदय पत्रिका, अमर उजाला काव्य, साहित्य पीडिया, डॉ. मुल्ला आदम अली हिंदी भाषा और साहित्यिक ब्लॉग आदि। अपनों की अहमियत किताब में कविताएं प्रकाशित।
रितु वर्मा हिंदी साहित्य की एक उभरती हुई और संवेदनशील कवयित्री हैं, जो अपनी सधी हुई लेखनी और भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए जानी जा रही हैं। वे पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी शहर की निवासी हैं। उनके पिता का नाम श्री उमेश वर्मा तथा माता का नाम श्रीमती सुनयना वर्मा है। उन्होंने हिंदी साहित्य में एम.ए. एवं बी.एड. की डिग्री प्राप्त की है।
नवोदित लेखिका होते हुए भी रितु वर्मा ने अल्प समय में साहित्य जगत में अपनी विशेष पहचान बनानी शुरू कर दी है। उनकी कविताएं जीवन की सूक्ष्म भावनाओं, प्रकृति की रमणीयता और सामाजिक यथार्थ को सरल, सजीव और प्रभावशाली भाषा में प्रस्तुत करती हैं। उनकी रचनाओं में कभी प्रकृति की सुकूनभरी गोद मिलती है, तो कभी समाज की कठोर सच्चाइयों का सजीव चित्रण दिखाई देता है।
रितु वर्मा का लेखन न केवल भावनात्मक रूप से पाठकों को छूता है, बल्कि उन्हें आत्मचिंतन और सामाजिक जागरूकता के लिए भी प्रेरित करता है। एक नई लेखिका के रूप में उनका प्रयास है कि साहित्य के माध्यम से मानव मूल्यों, संवेदनाओं और सामाजिक सरोकारों को उजागर किया जाए।
उनकी कविताओं में भावों की गहराई और शब्दों की सरलता एक साथ मिलकर ऐसा प्रभाव उत्पन्न करती हैं, जो पाठकों को सहजता से जोड़ लेती है। साहित्य के प्रति उनका समर्पण और निरंतर अभ्यास उन्हें भविष्य की एक सशक्त लेखिका के रूप में स्थापित करने की ओर अग्रसर कर रहा है।
रुचियों की बात करें तो रितु वर्मा को किताबें पढ़ना, प्रकृति-निरिक्षण, शांत वातावरण में लेखन करना, और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करना विशेष रूप से प्रिय है। उन्हें प्रेरणा साहित्यिक महानुभावों की रचनाओं से मिलती है, और वे अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को जागरूक और संवेदनशील बनाना चाहती हैं।
वर्तमान में रितु वर्मा पीएचडी में एडमिशन के लिए सक्रिय रूप से तैयारी कर रही हैं। साथ ही वे अपनी साहित्यिक रचनाओं को जारी रखते हुए विभिन्न साहित्यिक मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। वे सामाजिक और साहित्यिक विषयों पर शोध के माध्यम से हिंदी साहित्य में अपने ज्ञान को और गहरा करना चाहती हैं। इसके साथ ही वे नई कविताएं लिख रही हैं और साहित्यिक कार्यक्रमों में भाग लेकर अपने विचार साझा कर रही हैं।
रितु वर्मा की लेखनी नवाचार और संवेदनशीलता का मेल है, जो हिंदी साहित्य को एक नई दिशा देने की क्षमता रखती है।
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