Hindi Children's Poem by Dr. Surendra Vikram, Bal Kavita In Hindi, Kids Poems, Best Hindi Poetry Collection in Hindi.
Dr. Surendra Vikram Poetry
यह मनोरंजक हिंदी कविता पाँच साल के नटखट रीशू की शरारतों और मासूम बहानों को खूबसूरती से दर्शाती है। डॉ. सुरेंद्र विक्रम द्वारा रचित यह बाल-कविता बच्चों की सोच, भावनाओं और पारिवारिक संवाद को हल्के-फुल्के अंदाज़ में प्रस्तुत करती है। बच्चों की मासूम शरारतों और सीखने की प्रक्रिया को समझने के लिए जरूर पढ़ें यह कविता।
डॉ. सुरेन्द्र विक्रम की बाल कविता
पाँच साल का प्यारा रीशू
पाँच साल का प्यारा रीशू
सारे अक्षर पढ़ लेता है ।
एक बात कल मैंने देखी
नए बहाने गढ़ लेता है ।
नई-नई शैतानी करता
गुस्से में हो आगबबूला।
मना करो तो दाँत पीसता
कुप्पा सा मुँह रहता फूला।
परसों उसने नानी माँ पर
गुस्से में जब हाथ उठाया।
मम्मी ने तब कसकर डाँटा
उसको याद बहाना आया।
'अरे! नहीं मम्मी जी मैंने
ऐसे ही बस हाथ उठाया।
नानी माँ से कुछ कहने को
मैंने अपना हाथ बढ़ाया।'
मम्मी-नानी समझ गई थीं
उसका कोरा नया बहाना।
पर उसको समझाकर बोलीं-
'झूठ नहीं हमको बतलाना।'
'बाई-गाॅड' कहा रीशू ने
लेकिन मेरी चिंता जारी।
बदल रही हैं सारी चीजें
फिर से करनी है तैयारी।
पता नहीं रीशू को कैसे
सूझा ऐसा नया बहाना।
सोच-सोच कर परेशान मैं
मेरे संग रीशू के नाना।
- डॉ. सुरेन्द्र विक्रम
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