बाल साहित्य: कुछ परख, कुछ निदान | दिविक रमेश की नई पुस्तक

Dr. Mulla Adam Ali
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“Bal Sahitya: Kuchh Parakh, Kuchh Nidan” explores the tradition, evolution, and contemporary trends of Hindi children’s literature. Through critical insights, reviews, and interviews, the book offers a valuable resource for scholars, educators, and all lovers of children’s literature.

Hindi Children’s Literature: Reflections and Insights

बाल साहित्य कुछ परख, कुछ निदान

हिंदी बाल साहित्य आज केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज और संस्कृति के संवाहक के रूप में स्थापित हो चुका है। दिविक रमेश जी ने इसे गंभीर चिंतन और रचनात्मक लेखन दोनों से समृद्ध किया है। उनकी पूर्व प्रकाशित कृतियाँ “हिंदी बाल साहित्य: कुछ पड़ाव” और “बाल साहित्य” इस विधा की दिशा और दशा पर महत्वपूर्ण योगदान कर चुकी हैं।

प्रस्तुत पुस्तक “बाल साहित्य: कुछ परख, कुछ निदान” बाल साहित्य की परंपरा, वर्तमान स्वरूप और समकालीन रचनाकारों की प्रवृत्तियों पर सार्थक विमर्श प्रस्तुत करती है। इसमें प्रवासी भारतीय बाल साहित्य, साक्षात्कार और समीक्षाएँ भी शामिल हैं, जो पाठकों को व्यापक दृष्टि प्रदान करती हैं।

यह पुस्तक बाल साहित्य के शोधार्थियों, अध्यापकों, अभिभावकों और पाठकों सभी के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

थोड़ा संवाद

बाल-साहित्य को किसी भी साहित्य के समकक्ष महत्त्व देता हूँ और इससे गहरे से जुड़ा हूँ। सो इसे पढ़ता-समझता रहा हूँ और आनंद लेता रहा हूँ। जब अनुरोध किया गया या मन हुआ तो इस पर लिखता-छपता भी रहा हूँ। ऐसे ही पढ़े-समझे और लिखे की दो स्वतंत्र पुस्तकें अब तक छप चुकी हैं- हिंदी बाल साहित्य: कुछ पड़ाव (प्रकाशन विभाग, भारत सरकार से प्रकाशित) और

बाल साहित्य (किताबवाले, दरियागंज, नई दिल्ली से प्रकाशित)। मुझे खुशी है कि इन दोनों ही पुस्तकों का भरपूर स्वागत हुआ है। अब यह तीसरी पुस्तक आपके लिए उपस्थित है। मुझे पूरा विश्वास है कि इसका भी स्वागत होगा। मैं पुस्तक के आत्मीय प्रकाशक ‘सस्ता साहित्य मंडल प्रकशन’ के प्रति कृतज्ञ हूँ।

- दिविक रमेश

एल-1202, ग्रेंड अजनारा हेरिटेज, 
सेक्टर-74, नोएडा-201301
मो. 9910177099

प्रकाशकीय

जाने-माने बाल साहित्यकार दिविक रमेश जी बच्चों के लिए लेखन के साथ-साथ इस दिशा में चिंतन-मनन भी करते रहे हैं। फलतः लेखन और चिंतन-विवेचन दोनों माध्यमों से उन्होंने हिंदी बाल साहित्य को संपन्न किया है। 'बाल साहित्य: कुछ परख, कुछ निदान' उनके इसी चिंतन-मनन का परिणाम है जिसमें भारतीय बाल साहित्य की परंपरा और स्वरूप के विविध पक्षों की चर्चा के अलावा मौजूदा बाल-साहित्यकारों और रचना प्रवृत्तियों का संक्षिप्त परिचय के साथ-साथ प्रवासी भारतीय बाल साहित्य के विविध रंगों की झलकी भी प्रस्तुत की गई है। विविध बालकथा जिज्ञासुओं को दिए गए साक्षात्कारों के माध्यम से लेखक ने हिंदी में बाल साहित्य विषयक मूल्यांकन-विवेचन की ओर भी पाठकों का ध्यान आकृष्ट कराया है।

बाल साहित्य को जानने-समझने और मूल्यांकित करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए अवश्य पठनीय इस पुस्तक को पाठकों को सौंपते हुए सस्ता साहित्य मण्डल प्रकाशन हर्ष का अनुभव कर रहा है।

- सचिव

अनुक्रम

  1. बाल साहित्य : नया चिंतन, नया प्रतिमान
  2. हिंदी बाल साहित्य और ग्रामीण परिवेश
  3. बाल साहित्य : हिंदी का संदर्भ
  4. एक सशक्त वाहक 'सुनो कहानी' लोक साहित्य और लोक संस्कृति का
  5. कितनी अपेक्षित, कितनी उपेक्षित अभिभावकों में बाल मनोविज्ञान की समझ
  6. मैं मोबाइल बनना चाहता हूँ उर्फ सवाल जीवन शैली का
  7. बाल साहित्य : कुछ विचार बिंदु
  8. भारतीय बाल कथा साहित्य
  9. बच्चों की अपेक्षित दुनिया के चितेरे बाल साहित्यकार कवि कन्हैया लाल 'मत्त'
  10. दर्द और प्रेम के रिश्तों की कहानियाँ (नासिरा शर्मा)
  11. डॉ. श्रीप्रसाद की बाल कविताएँ
  12. शेरजंग गर्ग की बाल कविताएँ
  13. देवेंद्र कुमार : मौन लेकिन बोलते रचनाकार बनाम 'बच्चे क्यों चुप रहा करें'
  14. लोक सौंदर्य से लबालब भरी कविताओं के जीवनधर्मी कवि प्रभुदयाल श्रीवास्तव
  15. अभिव्यक्ति का पारंपरिक छौंक विज्ञान की जमीन पर 'टुइयाँ' (मधु पंत)
  16. प्रकाश मनु की चुनी हुई बाल कविताएँ
  17. हिंदी बाल-नाटक विधा की ओर एक सुखद कदम (कुसुम अग्रवाल)
  18. शकुंतला कालरा और बाल साहित्य आलोचना
  19. शकुंतला कालरा : एक समर्पित और सक्रिय बाल साहित्यकार
  20. मजबूत कदम बढ़ाता बाल साहित्यकार आलोक कुमार मिश्र (आलोक मिश्र)
  21. समझ साझा करनेवाला वैज्ञानिक दृष्टि संपन्न बाल साहित्यकार (संदेश त्यागी)
  22. त्रिलोक दीप : आत्मीय व्यक्तित्व और समृद्ध योगदान के प्रतीक
  23. रंगीली, बुलेट और वीर (समीर गांगुली)
  24. मिशन ग्रीन वॉर (समीर गांगुली)
  25. बाल साहित्यकार प्रेम जनमेजय
  26. बाल अधिकार कितना सच, कितना दिखावा और कितना शोषण (प्रियंका कानूनगो)
  27. मेरा बचपन: दिविक रमेश
  28. मेरी दादी की उत्कृष्ट कृति (मधुरिमा विद्यार्थी)
29. विविध सामग्री

  • (i) समीक्षा: गोविंद शर्मा, दिव्या माथुर, फहीम अहमद, चित्रा मुद्गल, रोचिका अरुण शर्मा, गिरिराजशरण अग्रवाल, नीलम राकेश, सविता चड्ढा, उमेशचंद्र सिरसवारी, विश्वामित्र दाधीच, रूपाली सक्सेना, प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव, डॉ. विष्णु शास्त्री 'सरल', यशपाल सिंह 'यश', सुहानी, देवेंद्र कश्यप, राकेश चक्र, श्यामा शर्मा, शारदा मिनोचा, दीपक गोस्वामी 'चिराग', डॉ. रमेश चंद्र गुप्ता (मिलन), राजा चौरसिया, वीणा शर्मा वसिष्ठ, संजीव जायसवाल, मंजु महिमा, सुधा भार्गव, प्रभा पंत, रामकुमार गुप्त, मालती बसंत, मोबाइल, दर्शन सिंह 'आशट', आचार्य देवेंद्र देव, अरविंद मिश्र. वंदना मिश्र, डॉ. गोपाल राजगोपाल।
30. साक्षात्कार
  • (ii) साक्षात्कार : उमेशचंद्र सिरसवारी, दीपशिखा शर्मा, डॉ. वेद मित्र शुक्ल, शलिनी वर्मा, श्रीमती शहिदा अत्तार, शुभी गुर्जर।
BAL SAHITYA KUCHH PARAKH, KUCHH NIDAN by Divik Ramesh
hindi bal sahitya ki kitab

पुस्तक: बाल साहित्य: कुछ परख, कुछ निदान
लेखक : दिविक रमेश
ISBN: 978-93-48765-56-7 (PB)
प्रकाशक
सस्ता साहित्य मण्डल प्रकाशन एन-77, पहली मंजिल, कनॉट सर्कस, नई दिल्ली-110001
Publisher Sasta Sahitya Mandal Prakashan N-77, First Floor, Connaught Circus, New Delhi-110 001 फोन / Phone: 011-41523565 Visit us at: www.sastasahityamandal.org
E-mail: sastasahityamandal@gmail.com
शाखा: कमला सदन, पटना साइंस कॉलेज के सामने, अशोक राजपथ, पटना-800 006 (बिहार)
फोन : 0612-2678025
प्रथम संस्करण: 2025
मूल्य: 400/-
आवरण सज्जा : सस्ता साहित्य मण्डल प्रकाशन
मुद्रक : सस्ता साहित्य मण्डल प्रकाशन

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