आधुनिक हिंदी कहानी के विकास में महिला कहानीकारों का योगदान : Women Story Writer in Hindi

Dr. Mulla Adam Ali
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Women Story Writer in Hindi : Hindi Kahani ka Vikas

Women Story Writer in Hindi

Hindi Ki Mahila Kahanikar :  Hindi Story and Female Story Writer

आधुनिक हिंदी कहानी के विकास में महिला कहानीकारों का योगदान

कहानी हिंदी साहित्य की सबसे लोकप्रिय विधा के रूप में विकसित हो रही है। कहानी साहित्य को समृद्ध करने में अनेक साहित्यकारों ने अपना विशेष योगदान दिया है। हिंदी कहानी और प्रेमचंद का अटूट रिश्ता है। प्रेमचंद जी ने जो कहानी लेखन की परंपरा निर्माण की उसी के आधार पर उनके बाद के साहित्यकारों ने अपनी साहित्य यात्रा आरंभ की। इसमें महिला साहित्यकारों ने भी अपना विशेष योगदान दिया और आज भी दे रही हैं।

आधुनिक हिंदी कहानी के विकास में महिला कहानीकारों का भी महत्वपूर्ण स्थान है। बंग महिला की कहानी 'दुलाई वाली' से लेकर महिला कहानीकार अपना योगदान देती आ रही हैं। इसके बाद सुभद्रा कुमारी चौहान, सुमित्रा कुमारी सिन्हा और उषादेवी मित्रा कहानियाँ लिख रही है। प्रेमचंद और प्रेमचंदोत्तर काल की प्रमुख कहानी लेखिका के रूप में उषादेवी मित्रा अपनी पहचान बना चुकी है। 'संध्यापूर्व', 'रात की रानी', 'मेघ मल्हार' आदि इनके कुल 15 कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इसके बाद रजनी पन्नीकर, कंचनलता सब्बरवाल आदि लेखिकाओं ने भी कहानी लेखन में अपना विशेष योगदान दिया है।

सन् 1960 के बाद कहानी के क्षेत्र में महिला लेखिकाओं की बाढ़ सी आ गई हैं। जिसमें मन्नू भंडारी, उषा प्रियवंदा, कृष्णा सोबती, मालती जोशी, दीप्ति खंडेलवाल, मेहरून्निसा परवेज, सुधा अरोडा, ममता कालिया, मैत्रेयी पुष्पा, मृदुला गर्ग, राजी सेठ, नासिरा शर्मा, सूर्यबाला, मंजुल भगत, मृणाल पांडे और डॉ. अहिल्या मिश्र आदि का नाम उल्लेखनीय है। इनमें से कुछ प्रमुख महिला कहानीकारों का परिचय यहाँ पर दिया जा रहा हैं।

मैत्रेयी पुष्पा : मैत्रेयी पुष्पा का जन्म 30 नवंबर 1944 को सिकुर्रा जिला अलीगढ़ में एक ब्राहमण परिवार में हुआ। उनकी प्राथमिक शिक्षा उनके गांव मिकुर्रा में हुई। मैत्रेयी जी ने एम.ए हिंदी की उपाधि प्राप्त की।

मैत्रेयी पुष्पा के तीन कहानी संग्रह हैं। 'चिन्हार', 'गोमा हँसती है' और 'ललमनिया'। इनमें कुल 32 कहानियां संकलित हैं। हर कहानी नारी की वेदना और पीड़ा को बयान करने वाली हैं। मैत्रेयी जी नारी के बारे में सोचते हुए कहती है कि स्त्रियों की गिनती आज भी मनुष्यों में हैं ही नहीं। आज भी स्त्री का शोषण बडी मात्रा में हो रहा है।' मैत्रेयी जी ने नारी की समसामायिक समस्याओं को उजागर करने का सफल प्रयास किया है। इनकी प्रमुख कहानियों में 'अपना-अपना आकाश', 'बेटी', 'सहचर', 'बहेलिये', 'हवा बदल चुकी है', आदि का उल्लेख कर सकते हैं। इसके बाद हम हिंदी की सशक्त महिला कहानीकार के रूप में मृदुला गर्ग जी का नाम ले सकते है।

मृदुला गर्ग : मृदुला गर्ग जी का जन्म 25 अक्तूबर 1938 में कोलकाता शहर में हुआ। इनके पिता का नाम श्री वीरेंद्र प्रसाद जैन तथा माता का नाम रविकांता जैन था। मृदुला गर्ग की शिक्षा दीक्षा दिल्ली में संपन्न हुई।

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मृदुला गर्ग ने लगभग नौ कहानी संग्रहों का सृजन किया। जो इस प्रकार हैं- 'कितनी कैदे', 'टुकडा - टुकडा आदमी', 'डॅफोडिल जल रहे है', 'ग्लैशियर से', 'उर्फ सैम', 'शहर के नाम', 'चर्चित कहानिया', 'समागम' और 'मेरे देश की मिट्टी अहा' । इनके 'समागम' इम संग्रह में 'मीरा नाची', 'बर्फ बनी बारीश', 'छतपर दस्तक', 'जेब', 'बाकी दावत', 'बडा सेव काला सेब', 'बीच का मीमम' और 'समागम' आदि। मृदुला गर्ग की अनेक कहानियाँ चर्चा में रही हैं। इसके संदर्भ में उनका कहना है कि 'कहानी की चर्चा दो कारणों से होती है। और वे एक दूसरे के विलाम हो। या तो कहानी इसलिए चर्चित होती है, क्योंकि वह पाठका को उनकी रूढ मान्यताओं पर चोट करती है और उन्हें पुनर्विचार के लिए बाध्य करती है या फिर इसलिए चर्चित होती है क्योंकि पढ़कर पाठकों के मन को मानते या महसूस करते आए थे उसका अनुमोदन लेखक भी कर रहा है।'

आधुनिक कहानी साहित्य में मालती जोशी ने भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

मालती जोशी : मालती जोशी का जन्म औरंगाबाद, महाराष्ट्र में 4 जून 1934 को हुआ। उनके पिता का नाम श्री कृष्णराव और माता का नाम सरलाबाई था। मालती जी ने अपनी साहित्य लेखन की शुरूआत बाल-साहित्य से की है। मालती जी ने अपने दस कहानी संग्रहों के द्वारा हिंदी कहानी को विशेष योगदान दिया हैं। जो कहानी संग्रह इस प्रकार हैं- 'आखिरी शर्त', 'एक घर हो सपनों का', 'मालती जोशी की कहानियाँ', 'मध्यांतर', 'अंतिम संक्षेप', 'बोल री कठपुतली', 'मोरी रंग दे चुनरिया', 'पिया पीर न जानी', 'औरत एक रात है' और 'शापित शैशव तथा अन्य कहानियाँ। मालती जी की कहानियाँ सामाजिक समस्याओं का यथार्थ चित्रण करने वाली कहानियाँ हैं। इसलिए आज भी उनकी कहानियों का हिंदी पाठक स्वागत ही करता हैं।

हिंदी की एक सशक्त महिला कहानीकार के रूप में हम ममता कालिया का नाम ले सकते है। ममता जी का जन्म 2 नवम्बर 1940 को वृंदावन में हुआ। उनके माता का नाम इन्दुमति तथा पिता जी का नाम विद्याभूषण अग्रवाल था। ममता जी ने अपनी लेखनी के द्वारा हिंदी कहानी जगत में अपनी अलग पहचान बनायी है। ममता जी ने इन कहानी संग्रहों के द्वारा हिंदी कहानी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं। जो इस प्रकार हैं-

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'छुटकारा', 'एक अद्द औरत', 'सीट नं. छह', 'उसका यौवन', 'प्रतिदिन', 'चर्चित कहानियां 'जाँच अभी जारी है', 'बोलने वाली औरत', 'मुखौटा', 'निर्माही', 'ममता कालिया की कहानियाँ', 'दस प्रतिनिधि कहानियाँ', 'ममता कालिया की कहानियाँ' दो खंड, पचीस साल की लडकी', 'थियेटर रोड के कौवे' और 'काके दी हट्टी' आदि। ममता जी ने अपनी कहानियों में समाज का बड़े ही मार्मिकता से चित्रण किया है।

हिंदी की महिला कहानीकारों में राजी सेठ का नाम भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इनका जन्म 4 अक्तूबर 1935 को नौशहरा छावनी (उत्तर पश्चिम सीमांत प्रदेश ) में राजी सेठ ने हिंदी में नो कहानी संग्रहों का सृजन हुआ । कर अपना विशेष योगदान दिया है। जो इस प्रकार है- 'अंधे मोड से आगे', 'तीसरी हथेली', 'यात्रा - मुक्त', दूसरे देशकाल में', 'सदियों से', 'यह कहानी नहीं", 'किसका इतिहास', 'गमे हयात ने मारा', 'खाली लिफाफा' आदि।

राजी सेठ ने अपनी कहानियों के विषय वर्तमान समाज से ही चुना है। हिंदी की अन्य महिला कहानिकारों की अपेखा इनकी कहानी लिखने के विषय कुछ अलग से लगते हैं। राजी ने नारी की समस्याओं के साथ-साथ समाज के बुजुर्ग व्यक्तियों की समस्याओं को भी अपनी कहानियों के द्वारा अभिव्यक्त किया है।

आधुनिक हिंदी कहानी के विकास में कहानीकार सूर्यबाला जी ने भी अपना अमूल्य योगदान दिया है। सूर्यबाला का जन्म 25 अक्तूबर 1944 को वाराणसी में हुआ। सूर्यबाला जी का पूरा नाम सूर्यबाला वीरप्रतापसिंह श्रीवास्तव है। सूर्यबाला की माता का नाम श्रीमती केशरकुमारी और पिता श्री वीरप्रतापसिंह थे।

सूर्यबाला जी को साहित्य सृजन की प्रेरणा बचपन से ही मिली है। परिवार का सुसंस्कृत होना उनके लिए लाभदायक साबित हुआ। सूर्यबाला जी ने लगभग दस कहानी संग्रहों का सृजन किया हैं। जो इस प्रकार हैं- 'दिशाहीन मैं', 'थालीभर चाँद', 'मुंडेर पर', 'यामिनी कथा', 'गृहप्रवेश', 'साँझवाती', 'कात्यायनी संवाद', 'मानुष गंध', 'पाँच लंबी कहानियाँ' और 'इक्कीस कहानियाँ'।

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सूर्यबाला की अनेक कहानियाँ आकाशवाणी, दरदर्शन एवं धारावाहिकों में प्रसारित हुई है। दूरदर्शन पर 'पलाश के फूल', 'सौदागर दुआओ के', 'एक इंद्रधनुष्य जुबदा के नाम', 'सब को पता है', 'रेस' तथा 'निर्वासित' आदि प्रमुख है। उनकी अनेक रचनाओं का अंग्रेजी, उर्दू, मराठी, बंगला, तेलुगू, कन्नड़ आदि भाषाओं में अनुवाद हुआ हैं।

आधुनिक हिंदी की महिला कहानीकारों में मंजुल भगत जी का भी महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। उनका जन्म 22 जून 1936 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ । इनके जीवन का अधिकांश समय दिल्ली में ही बीता। मंजुल जी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया है। मंजुल जी ने 'गुलमोहर के गुच्छे', 'सफेद कौआ', 'बूंद', 'आत्महत्या के पहले', 'कितना छोटा सफर', 'बावन पत्ते और एक जोकर' आदि चर्चित कहानी संग्रहों का सृजन हिंदी कहानी साहित्य को समृद्ध करने में अपना विशेष योगदान दिया है। मंजुल भगत की कहानियों में आत्मीयता, दीन-दुखियों, पिछड़ें, दलित उत्पीडितों के साथ इनकी संवेदना गहराई से जुड़ी हुई दिखायी देती है। मंजुल जी की कुछ कहानियों में मनोविज्ञान का चित्रण भी देखने को मिलता है।

आधुनिक हिंदी कहानी साहित्य को महिला कहानीकार नासिरा शर्मा ने भी अपना विशेष योगदान दिया है। नासिरा शर्मा का जन्म 22 अगस्त 1948 को एक संपन्न शिया मुस्लिम परिवार में (इलाहाबाद) हुआ।

नासिरा शर्मा का परिवार शिक्षित एवं संपन्न रहा है। पिता उर्दू के प्रोफेसर थे और प्रगतिशील विचारों के कवि भी । उनके परिवार में कला और साहित्य के लिए बडी आस्था रही है। परिवार में साहित्यिक माहौल होने के कारण नासिरा जी को साहित्य लेखन में सहायता जरूर मिली होगी। नासिरा शर्मा के कहानी संग्रह इस प्रकार हैं- 'पत्थर गली', 'इब्ने मरियम', 'शामी कागज', 'सबीना के चालीस चोर', 'खुदा की वापसी', 'इंसानी नस्ल', 'शीर्ष कहानियाँ', 'दूसरा ताजमहल', 'संगमार' और 'गूँगा असमान' आदि।

आधुनिक हिंदी महिला कहानीकारों की अपेक्षा नासिरा शर्मा जी अपनी कहानियों का विषय देश के बाहर की समस्याओं को चुना हैं। नासिरा जी की कहानियों के विषय नारी समस्याओं के साथ-साथ आतंकवाद तथा अन्य विषयों को भी चित्रित करते हैं।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आधुनिक हिंदी कहानी साहित्य को समृद्ध करने मे पुरुष कहानीकारों के साथ-साथ महिला कहानीकारों ने भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है और आज भी दे रही हैं।

- डी. बी. देवदत्ते

संदर्भ सूची :

1. चिन्हार कहानी संग्रह : मैत्रेय पुष्पा - Chinhaar Hindi book by Maitreyi Pushpa

2. गोमा हँसती है : मैत्रेय पुष्पा - Goma Hansti Hai Hindi book by Maitreyi Pushpa

3. ललमनियाँ : मैत्रेय पुष्पा - Lalmaniyan Hindi book by Maitreyi Pushpa

4. हिंदी साहित्य का इतिहास : डॉ. शिवकुमार शर्मा - Hindi Sahitya Ka Itihas by Dr. Shiv Kumar Sharma

5. हिंदी साहित्य का इतिहास : डॉ. माधव सोनटक्के - Hindi Sahitya Ka Itihas by Dr. Madhav Sontakke

6. हिंदी साहित्य का आधा इतिहास : सुमन राजे - Hindi Sahitya Ka Aadha Itihas by Dr. Suman Raje

7. यह कहानी नहीं : राजी सेठ - Yah Kahani Nahin Hindi book by Rajee Seth

8. पिया पीर न जानी : मालती जोशी - Piya Peer Na Jani Hindi book by Malti joshi

9. गुलमोहर के गुच्छे : मंजुल भगत - Gulmohar Ke Guchchhe by Manjul Bhagat

10. संगसार : नासिरा शर्मा - Sangsaar by Nasira Sharma

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